Thursday, February 23, 2012

ईंट क्रांति का आख़िरी हथियार होती हैं

 
 ईंट से ईंट जोड़ कर बनती हैं दीवारें
आदमी और आदमी के बीच उगती हैं दीवारें
लोग दीवारों को अकेला पा कर उनसे करते हैं संवाद
कुछ आवारा नौजवान लिख देते हैं उस पर अपनी प्रेमिका का नाम
कुछ लोग उकेरते हैं अपनी वेदना या देते हैं कोई पैगाम
दीवार विचार की हो या आचार की खडी हो रही हैं रातों रात अपनों के बीच
कुछ लोग बनाते हैं दीवारें
कुछ लोग ढहाते हैं दीवारें
कुछ लोग सजाते हैं दीवारें
कातिलों के डर से बनी एक दीवार देख कर विश्व के लोग आज तक आश्चर्यचकित हैं
कुछ दीवारें से किसी को कोई आश्चर्य नहीं
जब सभ्यता सहमती है तो बनती है दीवार
जब सभ्यता समझती है तो ढहती है दीवार
आओ यह दीवार ढहा दें इसकी ईंट से ईंट बजा दें
ईंट सभ्यता का पहला औजार होती है
ईंट क्रांति का आख़िरी हथियार होती हैं." -------- राजीव चतुर्वेदी
 
"मत भूलो ईंट क्रांति का आख़िरी हथियार होती है ....यह लोकतंत्र ...यह समाज आत्मकेंद्रित स्वार्थी लोगों की बदौलत नहीं ज़िंदा है ....यह लोकतंत्र ज़िंदा लोगों , ज़िंदा कौमों की बदौलत ज़िंदा है ... याद रहे ज़िंदा कौमें पाँच साल तक इन्तजार नहीं करतीं . "                                                                                            ---- राजीव चतुर्वेदी

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