Wednesday, February 22, 2012

प्यार की परिभाषा की भाषा तुम क्या जानो ?

" कैटरीना की आँखें देश में बाज़ार
और मेरे कुत्ते की आँखें मुझमें प्यार ढूंढती हैं
जब देह दानों के तरह फैंकी गयी हो

कोई चिड़िया तो फंसेगी
ख्वाहिश की नुमाइश से नुमायाँ हो भी लो अब तुम

समझ लो अब हवस और कफस के बीच का मंजर
विस्तरों पर मत इसे विस्तार पर देखो 

देह को बाज़ार में तुम बेच लो मर्जी तुम्हारी
प्यार की परिभाषा की भाषा तुम क्या जानो ?

गाय के हुंकारने में सुन सको तो सुन ही लेना
पूछना तुम राधिका से

कृष्ण संयोगों का समर्पण था या वियोगी की विवशता
बीतरागी भी बता देगा तुम्हें विस्तार से सब

पूछने और बूझने के बीच की दूरी अगर तुम जानते हो
बूझ लेना गाय की हुंकार में या अपने कुत्ते की निगाहों में 

केटरीनाओ के शहर की इस सड़क से दूर जाती है जो पगडंडी
वो मेरे गाँव की सरहद पे जाती है

चल सको तो चल भी लेना इसपे तुम
ये वो पगडंडी है जो प्यार की परिभाषा बताती है
." --- राजीव चतुर्वेदी

No comments: