Tuesday, January 27, 2015

गाँधी की हत्या आज़ाद भारत की पहली आतंकवादी घटना थी


"नाथू राम गौडसे गोली चलाना तो जानता था पर गुलेल से भी कभी एक कंकड़ किसी अंग्रेज को नहीं मारा था ...नाथूराम गौडसे पाकिस्तान के निर्माण और उसके बाद मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं के व्यापक क़त्ल ऐ आम से छुब्ध था पर उसने कभी जिन्ना को मारने का प्रयास नहीं किया, न ही कभी किसी मुसलमान को मारा. हिंसा के बारे में मोहम्मद के अनुयायी और गौडसे के अनुयायी सामान विचार रखते हैं ." ---- राजीव चतुर्वेदी

( नाथूराम गौडसे के अनुयाइयों का काल्पनिक राष्ट्रगान  )

" जन गण मन खलनायक जय हे
भारत भाग्य मिटाता
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा
द्राविड उत्कल दंगा
विन्ध्य हिमांचल यमुना गंगा
तू है पूरा भूखा नंगा
जब अंग्रेज थे भागे
तब तुम निंद्रा से जागे
गाँधी के गोली मारा
जन गण दंगल दायक जय हे
भारत भाग्य मिटाता
हाय हाय ! ...हाय हाय !! ...हाय हाय !!! ...
"


"गाँधी गीता के अध्येता एक तर्क संगत हिन्दू थे ...मरते समय भी उनके हाथ में गीता ,मुँह पर ..".हे राम !..हे राम !! ... हे राम !!"...था ...कृष्ण के बाद गाँधी से बड़ा राजनीतिक नायक अभी तक कोई नहीं हुआ ...आज भी दुनियाँ के तमाम देशों में क्रांतियाँ गाँधी का नाम लेकर हो रही हैं ...गौडसे ने गाँधी की हत्या ही नहीं की वह गाँधी नामक कुतुबनुमा भी तोड़ दिया कि जिससे नवस्वतंत्र अबोध भारत दिशा देख रहा था ...तुम गौडसेवादियो एक अदद नारा भी नहीं गढ़ सके. गाँधी से उधार ले कर आज तक नारे लगा रहे हो,-- निर्लज्जो ! ...स्वराज ...रामराज्य ..."एक विधान, एक प्रधान, एक संविधान" ...सामान नागरिक संहिता...स्वदेशी ...कुटीर उद्योग ... ग्राम सभा...सबको शिक्षा, सबको काम ... अस्पृश्यता उन्मूलन ...सस्ता सुलभ शासन और न्याय ...वन्देमातरम ..."
कातिल को मसीहा बताते लोगो एक दिन तुम में से कुछ लोग ऐसे ही तुम्हारे सुझाये (कु) तर्क के सहारे मार दिए जायेंगे ...मारे जा रहे हैं . लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास है तो सहमती / असहमति का जन चेतना जन बहसों से निर्माण करो . असहमति पर हत्या लोकतान्त्रिक मूल्यों की जड़ों में विष देना है ...हिंदुत्व की परंपरा रही है नन्हा सा नचिकेता यम से संवाद कर सकता है ...विश्व विजेता अर्जुन से यक्ष प्रश्न करता है ...इस्लाम शस्त्र से और हिन्दू शास्त्रार्थ से जीतने की परंपरा हैं ...अर्जुन कृष्ण से सवाल करता है ...हिंसा के बारे में मोहम्मद के अनुयायी और गौडसे के अनुयायी सामान विचार रखते हैं .गाँधी की हत्या आज़ाद भारत की पहली आतंकवादी घटना थी .
" ---- राजीव चतुर्वेदी

"इस देश के एक कोने में लोग अफज़ल गुरू को शहीद बता रहे हैं ... दूसरे कोने में भिंडरावाले को शहीद बताया जा रहा है ...जिनको विदेशी आस्था का अस्थमा है उनको बिन लादेन की शाहदत विश्व मानवता के लिए अपूर्णीय क्षति लगती है। ...देश के स्वदेशी कोने में कुछ लोग कराह रहे हैं --- "हुतात्मा गोडसे" ...कौन थे नाथू राम गौडसे ? ...इनकी एक असफल सी प्रेस थी और एक दुपतिया अख़बार निकलता था ...यह अंग्रेजों और मुसलमानों के प्रति इतने नेक दिल थे कि यद्यपि इन्हें रिवोल्वर चलाना आता था ...इनके पास उस जमाने में विदेशी रिवोल्वर के अवैध सप्लायर थे फिर भी कभी किसी अंग्रेज या मुसलमान के विरुद्ध अपने अखबार नें कुछ भी नहीं लिखा और कभी किसी अंग्रेज या मुसलमान के गोली तो दूर गुलेल से भी एक कंकड़ नहीं मारा । आज़ादी के किसी आन्दोलन न में कभी भाग लिया न जेल गए ।...खैर यह अमन पसंद शांतिदूत आज़ादी मिलने तक चुप रहा ...आखिर और कब तक चुप रहता ? ...जिन्ना से नाराज़ था ...मुसलमानों से नाराज था ...और चुप नहीं रह सका ...निहत्थे गाँधी को उपासना स्थल जाते में मार दिया । ...और इस प्रकार देश के फुटकर कोनों में हुतात्मा नाथू राम गोडसे अमर हुआ . तेरा कातिल मेरा मसीहा का उत्तर आधुनिक काल जारी था ...और ...और आने वाली नश्लों को हम बता रहे थे ...अपने बच्चों को हम संस्कार दे रहे थे --- मसीहा बनने के लिए कातिल होना अनिवार्य है ।"----- राजीव चतुर्वेदी

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