Sunday, March 1, 2015

शब्दों पर रहम करो --- उन्हें ठोक पीट कर कविता न बनाओ

"शब्दों पर रहम करो
उन्हें ठोक पीट कर कविता न बनाओ
बाहें न मरोड़ो शब्द की
तुम्हारी मुस्कुराती कविता में शब्द कराहेंगे
घायल शब्द अकेले में विलाप करेंगे

एक दूसरे से मिल कर सुबकेंगे
किसी शीर्षक की डोरी पर टंगे शब्द सूख जाते हैं
मुर्गीयों के व्यापारी जैसे मुर्गीयों को पिंजड़े में भर कर रखते हैं
कुछ लोगों ने वैसे ही कुपोषित शब्दों को पिंजड़े नें बंद कर रखा है
तुम्हारे वीराने में पड़े शब्द आपस में टकराते हैं
आपस में टकरा कर खड़कते हैं
शब्दों में सामंजस्य होगा तो संगीत निकलेगा
शब्द आपस में टकराएंगे तो शोर करेंगे
शब्द चहकेंगे तो महकेंगे
शब्दों को प्यार दो
शब्दों को उनके स्वाभाविक प्रवाह का अधिकार दो
शब्द नृत्य करेंगे, संगीत देंगे
शब्द अपनी ही लय पर थिरकेंगे
उन शब्दों में
एक कविता थिरकेगी ."
----- राजीव चतुर्वेदी

1 comment:

Unknown said...

अति सुंदर....