Saturday, March 21, 2015

भूख की प्रतिद्वन्द्विता को सभ्यता कहते हैं लोग

"दरिंदे और परिंदे के बीच
एक दाना
जो दया का दिख रहा था
पर दाँव निकला
सभ्यता के बीच में फैला हुआ विस्तार है

वही एक जाल है
भूख उसकी हो या मेरी
भूख का सहअस्तित्व हो सकता ही नहीं है
भूख की प्रतिद्वन्द्विता को सभ्यता कहते हैं लोग.
"
-------- राजीव चतुर्वेदी

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